जीएसटी घटी, लेकिन राहत नहीं! कंपनियों की नई चाल - वजन घटा, दाम वही

सरसों और रिफाइंड तेल पर जीएसटी घटने के बाद उपभोक्ताओं को सस्ते दामों की उम्मीद थी, लेकिन एफएमसीजी कंपनियों ने पैक का वजन घटाकर खेल पलट दिया। पहले जहां 910 ग्राम तेल एक लीटर के नाम पर बिकता था, अब वही पैक 750 से 820 ग्राम में मिल रहा है। पैकिंग पहले जैसी, एमआरपी लगभग वही, पर तेल कम - और जनता को पता भी नहीं चलता।
तेल ही नहीं, साबुन और डिटर्जेंट जैसी वस्तुओं के दाम भी बिना किसी जीएसटी बदलाव के बढ़ा दिए गए हैं। एक साबुन ₹38 से ₹39, एक किलो सर्फ ₹74 से ₹76, और आधा किलो ₹38 से ₹39 तक पहुंच गया है। यानी कंपनियों ने राहत का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाया।
बिस्किट की कीमतों ने बढ़ाई उलझन
एक बिस्किट कंपनी ने ₹4.50 का पैक बाजार में उतारा है, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों के बीच रोज़ विवाद हो रहा है। दुकानदारों का कहना है, “चार रुपये पचास पैसे का बिस्किट दें तो बाकी पैसे कैसे लौटाएं?” इस तरह कंपनियों की मूल्य रणनीति खुदरा बाजार में नई दिक्कतें पैदा कर रही है।
व्यापारियों की मांग - सरकार निगरानी करे
जेसीपीडीए अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहा कि कंपनियां धीरे-धीरे वजन घटाकर और दाम बढ़ाकर जनता से ठगी कर रही हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि तेल और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए मानक वजन तय किए जाएं, ताकि ऐसी चालाकी पर रोक लगे।
उन्होंने चेतावनी दी कि यह प्रवृत्ति अगर जारी रही तो मिडिल क्लास और लोअर इनकम परिवारों की क्रय-शक्ति कमजोर होगी, और रोजमर्रा की ज़िंदगी और महंगी होती जाएगी।
अन्य चित्र

