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झामुमो की समीक्षा से झारखंड में बदले राजनीतिक समीकरण

Sanjana Kumari
21 नवंबर 2025 को 05:17 pm बजे
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JMM’s Review After Bihar Loss Reshapes Political Dynamics in Jharkhand

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार का असर अब झारखंड की सत्तारूढ़ राजनीति में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।
बिहार में एक भी सीट न मिलने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने राज्य में मौजूदा गठबंधन व्यवस्था की औपचारिक समीक्षा शुरू की है।

इस समीक्षा की गूंज झारखंड के दोनों सहयोगी दलों—राजद और कांग्रेस—पर गहराई से महसूस की जा रही है।

राजद की बढ़ती बेचैनी

गठबंधन के सहयोगियों में सबसे अधिक असहजता राजद में देखी जा रही है।
बिहार में सत्ता वापसी की उम्मीद टूटी तो अब पार्टी को झारखंड में अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है, जहां उसे सरकार में केवल एक मंत्री पद मिला है।

राजद के भीतर दो प्रमुख आशंकाएँ उभर रही हैं—

  1. अगर झामुमो गठबंधन से दूरी बनाता है तो झारखंड में राजद की राजनीतिक ताकत और सिमट सकती है।

  2. बिहार की हार के बाद पार्टी की मोलभाव क्षमता भी घट सकती है।

हालांकि राजद नेताओं ने इन चर्चाओं को अफवाह बताया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव ने हेमंत सोरेन के साथ संवाद बढ़ाने की पहल शुरू कर दी है।

कांग्रेस की सतर्क मुद्रा

कांग्रेस, जो सरकार को स्थिरता देने में केंद्रीय भूमिका निभाती है, स्थिति को अत्यंत सावधानी से संभाल रही है।
पार्टी आलाकमान ने झारखंड प्रभारी और सह प्रभारी को निर्देश दिया है कि वे हर राजनीतिक गतिविधि पर करीबी नजर रखें।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के कोर समूह को भी लगातार रिपोर्ट भेजी जा रही है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा:
“कोई संकट नहीं दिखता, लेकिन यदि परिस्थिति बदली तो हम तुरंत राष्ट्रीय नेतृत्व को सूचित करेंगे।”

एनडीए में नया जोश

इसके विपरीत, बिहार में एनडीए की भारी जीत ने झारखंड में भाजपा और उसके सहयोगियों का मनोबल बढ़ा दिया है।
आजसू प्रमुख सुदेश महतो, जो नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए, ने कहा—

“बिहार का जनादेश झारखंड में भी राजनीतिक प्रभाव छोड़ेगा। जनता बदलाव चाहती है।”

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