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सिमडेगा डीसी कंचन सिंह की कविता ‘बेटियों से’ चर्चा में, आत्मबल और स्वतंत्रता का संदेश

Akash Nath Kar
13 अक्टूबर 2025 को 02:47 pm बजे
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Simdega DC Kanchan Singh's Poem "To Daughters" Gains Attention, Delivers Message of Self-Strength and Freedom
साहित्य और प्रशासन के संगम में रचित रचना सोशल मीडिया पर सराही जा रही है सिमडेगा की उपायुक्त कंचन सिंह इन दिनों अपनी प्रेरणादायक कविता ‘बेटियों से’ को लेकर सुर्खियों में हैं। यह कविता बेटियों के आत्मबल, आत्मविश्वास और स्वाभिमान पर केंद्रित है तथा विभिन्न साहित्यिक और सामाजिक मंचों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर रही है। कंचन सिंह प्रशासनिक कार्यों में अपनी दक्षता के साथ-साथ संवेदनशील और रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी पहचानी जाती हैं। उनकी यह रचना बेटियों के सपनों, समाज में उनकी भूमिका और स्वतंत्र पहचान को सशक्त शब्दों में प्रस्तुत करती है। कविता की प्रमुख पंक्तियों में से एक में वे लिखती हैं — “कदमों से थामे रखना धरती कठोर; हौसलों की पाँखों से नापना आकाश।” दूसरी पंक्ति में वे कहती हैं — “मेरी बेटियों! जानो कि, तुम्हारी ही धुरी पर घूमता है जीवन; तुम्हारे ही होने से दुनिया है खास।” इन संदेशों के माध्यम से उन्होंने बेटियों को अपनी क्षमता पहचानने, साहस के साथ आगे बढ़ने और स्वतंत्र उड़ान भरने के लिए प्रेरित किया है। कविता में एक सामाजिक दृष्टिकोण भी निहित है, जो इस बात पर जोर देता है कि बेटियों को संरक्षण का साथ-साथ समान अवसर, स्वीकार्यता और आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। ‘बेटियों से’ केवल एक भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक सशक्त सामाजिक संदेश है। सोशल मीडिया पर यह रचना व्यापक रूप से साझा की जा रही है और इसे महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।

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