झारखंड शराब घोटाले में ACB ने दो पूर्व IAS अधिकारियों को भेजा नोटिस

झारखंड के शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने दो पूर्व IAS अधिकारियों मनोज कुमार और मुकेश कुमार, जो पहले राज्य उत्पाद सचिव रहे हैं, को नोटिस जारी किया है। दोनों को इससे पहले भी नोटिस भेजा जा चुका है।
घोटाले की पृष्ठभूमि
एसीबी ने पहले पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे को गिरफ्तार किया था, जिनकी भूमिका कथित तौर पर इस घोटाले में केंद्रीय रही। उनके कार्यकाल में एमजीआर की समीक्षा नहीं हुई और गारंटी राशि वसूलने का प्रयास नहीं किया गया, जिससे राज्य को लगभग ₹38 करोड़ का नुकसान हुआ।
इसके बाद मनोज कुमार और मुकेश कुमार उत्पाद सचिव बने, लेकिन प्लेसमेंट एजेंसियों से कोई वसूली नहीं हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि निजी कंपनियों को जानबूझकर लाभ पहुँचाया गया।
ग्रामीण विकास विभाग में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर से जुड़े कमीशन और मनी लांड्रिंग मामले में चौथी पूरक चार्जशीट दाखिल की। आरोपियों में ठेकेदार, प्रशासनिक सहयोगी और उनके परिवार शामिल हैं। इस मामले में कुल आरोपी 22 हो गए हैं, जिनमें पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल की पत्नी रीता लाल भी शामिल हैं।
वित्तीय विवरण और कथित भूमिकाएं
ठेकेदार राजेश कुमार और उनकी कंपनियों ने कथित तौर पर ₹1.88 करोड़ कैश और दो लग्जरी वाहन रिश्वत और कमीशन के रूप में दिए।
ठेकेदार राधामोहन साहू ने ₹39 लाख कैश और एक लग्जरी वाहन देने की बात स्वीकार की।
वीरेंद्र राम के सहयोगी के परिसर से ₹4.40 लाख कैश बरामद हुए, जबकि बिचौलिया राजीव कुमार सिंह के आवास से ₹2.13 करोड़ मिले और उन्होंने लगभग ₹15 करोड़ की कमीशन राशि संभालने की बात स्वीकार की।
संजीव लाल की पत्नी रीता लाल पर आरोप है कि उन्होंने दागी धन को वैध आय के रूप में पेश किया।
प्रभाव
यह मामला सार्वजनिक धन प्रबंधन में कथित भ्रष्टाचार और उच्च पदस्थ अधिकारियों व राजनीतिक सहयोगियों की भूमिका की गंभीरता को उजागर करता है। प्रशासन ने पूर्ण जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।
जैसे-जैसे ACB और ED की जांच आगे बढ़ती है, यह मामला सरकारी विभागों में निगरानी तंत्र और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है, विशेषकर सार्वजनिक निविदाओं और कल्याण योजनाओं में धन के निष्पक्ष प्रबंधन के संदर्भ में।
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