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गढ़वा के पीएमश्री विद्यालयों में बिरसा मुंडा उत्सव और स्वच्छता अभियान के नाम पर 26 लाख रुपये का घोटाला उजागर

Sanjana Kumari
3 नवंबर 2025 को 07:56 am बजे
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How ₹26 lakh meant for Birsa Munda Festival and Cleanliness Drive vanished from PM SHRI schools in Garhwa

झारखंड के गढ़वा जिले में संचालित “बिरसा मुंडा लर्निंग फेस्टिवल” और “स्वच्छता पखवाड़ा क्लीन-अप ड्राइव” की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। प्रत्येक पीएमश्री विद्यालय को एक-एक लाख रुपये (50-50 हजार रुपये दो अलग-अलग मदों में) आवंटित किए गए थे। परंतु अधिकांश विद्यालयों में या तो कार्यक्रम औपचारिक रूप से आयोजित किए गए या बिल्कुल नहीं हुए, जबकि पूरी राशि की निकासी कर ली गई। कुल मिलाकर 26 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है।

आवंटन और जवाबदेही का अभाव:

केंद्र प्रायोजित पीएमश्री योजना के अंतर्गत जिले के 26 विद्यालयों को स्वच्छता जागरूकता एवं बिरसा मुंडा की जयंती पर शैक्षणिक-सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु निधि दी गई थी। किंतु जांच में पाया गया कि अधिकांश विद्यालयों में यह कार्यक्रम केवल नाममात्र तक सीमित रहे।

कुछ विद्यालयों में मात्र कुछ मिनट झाड़ू लगाने या बिरसा मुंडा की जीवनी सुनाने तक ही आयोजन सीमित था, फिर भी पूरी राशि की निकासी दर्शाई गई।

इन कार्यक्रमों के आयोजन और सामग्री की आपूर्ति का कार्य युवा सदन (अरगोड़ा, रांची) और आदर्श इंटरप्राइजेज (गढ़वा) नामक एजेंसियों को सौंपा गया। किंतु इसके लिए किसी प्रकार का टेंडर आमंत्रित नहीं किया गया, बल्कि जिला स्तर से सीधे एजेंसियां नियुक्त कर दी गईं। यह प्रक्रिया सरकारी मानकों के विपरीत है और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

जांच समिति की रिपोर्ट:

अपर समाहर्ता राज महेश्वरम की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति (जिसमें जिला शिक्षा अधीक्षक और जिला कोषागार पदाधिकारी शामिल थे) ने सभी 26 विद्यालयों का निरीक्षण किया। समिति ने पत्रांक 969 के माध्यम से अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी है।

रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकांश विद्यालयों में सामग्री (जैसे झाड़ू, हार्पिक, दस्ताने आदि) की आपूर्ति तो की गई, परंतु स्वच्छता अभियान का उद्देश्य और व्यापकता पूरी तरह खो गई।

स्वच्छता पखवाड़ा: औपचारिकता में सिमटा अभियान:

“ऑर्गेनाइज स्वच्छता पखवाड़ा” कार्यक्रम, जो 15 दिनों तक चलाया जाना था, अधिकांश विद्यालयों में कुछ मिनटों तक ही चला।

  • मवि भूसूवा (मझिआंव): केवल 30 मिनट की सफाई, पांच झाड़ू और छह डस्टबिन मिले।

  • मवि खरसोता (मझिआंव): आधे घंटे की सफाई, पांच नारियल झाड़ू की आपूर्ति।

  • उवि तेनार (गढ़वा): सफाई नहीं हुई, पर रिकॉर्ड में पांच झाड़ू और सफाई सामग्री दर्शाई गई।

सभी विद्यालयों ने ₹50,000 की पूरी राशि खर्च दिखा दी।

बिरसा मुंडा फेस्टिवल: सांस्कृतिक कार्यक्रम औपचारिकता तक सीमित:

बिरसा मुंडा लर्निंग फेस्टिवल का उद्देश्य आदिवासी नायक के योगदान से विद्यार्थियों को परिचित कराना था, परंतु अधिकांश विद्यालयों में यह केवल नाममात्र का आयोजन बनकर रह गया।

  • मवि सेमरी (बरडीहा): एक ड्रेस वितरित कर बिरसा मुंडा की जीवनी सुनाई गई।

  • उवि डोल (चिनिया): केवल मौखिक कार्यक्रम, कोई सांस्कृतिक आयोजन नहीं।

  • उवि जाटा (गढ़वा) एवं खुटिया (धुरकी): कोई कार्यक्रम नहीं हुआ।

केवल मवि संग्रहे में अपेक्षाकृत विस्तृत कार्यक्रम (3.5 घंटे) हुआ, किंतु वहां भी खर्च का प्रमाण अस्पष्ट है।

प्रशासनिक लापरवाही और सिफारिशें:

समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि निधि जारी करने से पहले किसी प्रकार की जांच या पश्चात ऑडिट नहीं किया गया। समिति ने दोषियों से राशि की वसूली और संबंधित एजेंसियों का विशेष ऑडिट कराने की अनुशंसा की है।

प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल:

यह मामला सरकारी अनुदानों के उपयोग में जवाबदेही की कमी की ओर इशारा करता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सभी पीएमश्री विद्यालयों का स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए ताकि अन्य संभावित अनियमितताओं का भी पता चल सके।

न्यूज़ - पियूष तिवारी

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