चाईबासा एचआईवी केस: संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में हाईकोर्ट ने मांगी राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को उस गंभीर मामले की सुनवाई हुई, जिसमें चाईबासा सदर अस्पताल में कई बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने का आरोप है।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि घटना से संबंधित जांच रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। अदालत ने सरकार को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 19 नवंबर तय की है।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को चढ़ा संक्रमित रक्त
मामला उस समय उजागर हुआ जब रांची सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे को रक्त चढ़ाए जाने के बाद एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई। बच्चे के पिता ने इस संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था।
पत्र को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने इसे जनहित याचिका (PIL) में परिवर्तित कर दिया।
इसी तरह, पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में रक्त चढ़ाने के बाद पाँच बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए, जिनमें एक सात वर्षीय थैलेसीमिया रोगी भी शामिल है।
रिप्लेसमेंट ब्लड की प्रथा पर भी सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि झारखंड के कई निजी अस्पतालों में अब भी ‘रिप्लेसमेंट ब्लड डोनर’ की व्यवस्था लागू है, जबकि यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत है।
सरकार की ओर से कहा गया कि अब ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित किए जा रहे हैं ताकि संक्रमित रक्त की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि ब्लड बैंक की सुरक्षा मानक और रक्त जांच प्रणाली को सख्ती से लागू करना राज्य की जिम्मेदारी है।
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