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झारखंड में नक्सलवाद पर लगाम: 2016 के 22 जिलों से घटकर 2025 में केवल 9 जिले प्रभावित

Sanjana Kumari
13 नवंबर 2025 को 03:11 am बजे
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Naxalism Declines Sharply in Jharkhand: Only 9 Districts Affected in 2025, Down from 22 in 2016

झारखंड में नक्सलवाद (Left Wing Extremism - LWE) पर नियंत्रण की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। राज्य में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2016 के 22 से घटकर अब केवल 9 रह गई है। यह जानकारी झारखंड पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जारी रिपोर्ट में दी गई है।

अधिकारियों ने बताया कि इस सफलता के पीछे खुफिया जानकारी पर आधारित अभियान, दुर्गम इलाकों में फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस की स्थापना, नक्सलियों के आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति, और मुक्त क्षेत्रों में विकास कार्यों की अहम भूमिका रही है।

घटते नक्सली घटनाक्रम

राज्य पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2001 में 230 नक्सली घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2009 में 512 मामलों के साथ चरम पर पहुंच गईं। उस समय माओवादी संगठन झुमरा (बोकारो) और बुधा पहाड़ (लातेहार) जैसे ठिकानों से प्रशिक्षण शिविर चला रहे थे।

पिछले छह वर्षों में नक्सली घटनाओं में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है —

  • 2019: 134

  • 2020: 126

  • 2021: 106

  • 2022: 90

  • 2023: 129

  • 2024: 95
    वर्ष 2025 में अब तक लगभग 70 घटनाएं दर्ज की गई हैं।

घटते रेड जोन

2016 में MHA ने झारखंड के 24 में से 22 जिलों को नक्सल प्रभावित घोषित किया था।
2021 में कोडरमा, रामगढ़ और सिमडेगा को इस सूची से बाहर किया गया, जबकि 2024 में धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, हजारीबाग और पलामू को भी मुक्त घोषित किया गया।
मार्च 2025 की समीक्षा में रांची और गुमला को हटाने के बाद अब केवल 9 जिले इस सूची में बचे हैं।

सबसे प्रभावित क्षेत्र

गृह मंत्रालय के अनुसार, पश्चिम सिंहभूम सबसे अधिक प्रभावित जिला है, जबकि लातेहार दूसरा प्रमुख क्षेत्र है।
बाकी सात जिले — गिरीडीह, बोकारो, चतरा, गढ़वा, लोहरदगा, खूंटी और सिरसिला-खरसावां — को “विरासत और केंद्रित जिले” बताया गया है, जहां नक्सलवाद लगभग समाप्ति की ओर है।

पुलिस का बयान

झारखंड पुलिस के परिचालन महानिरीक्षक माइकल राज ने बताया —

“वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम सिंहभूम के सरंडा जंगल में छिपे कुछ शीर्ष माओवादी नेताओं से है। इनके अलावा बोकारो, हजारीबाग, चतरा, पलामू और नेतरहाट में छोटे समूहों की मौजूदगी है, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है।”

उन्होंने बताया कि झारखंड जन मुक्ति परिषद (JJMP) पलामू क्षेत्र में सीमित सक्रियता बनाए हुए है, जबकि तृतीय प्रस्तुति समिति (TPC) लातेहार में सक्रिय है।

राज्य पुलिस का कहना है कि विकास कार्य, सड़क और रोजगार योजनाओं के विस्तार से ग्रामीण इलाकों में माओवाद की जड़ें कमजोर पड़ी हैं।

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