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बिहार जीत के बाद बंगाल फतह की तैयारी में भाजपा, झारखंड नेताओं को भी मैदान में उतारने की रणनीति

Kusum Kumari
17 नवंबर 2025 को 08:37 am बजे
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After Bihar Victory, BJP Shifts Focus to Bengal, Deploys Jharkhand Leaders for Border Strategy

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद इसका असर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में भी दिखाई देने लगा है। बंगाल के भाजपाइयों ने इस जीत का जश्न मनाते हुए नारा लगाया— “बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है।” पार्टी इस माहौल को आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने के लिए रणनीति बना रही है और इस अभियान में झारखंड के भाजपा नेताओं को भी महत्वपूर्ण भूमिका देने की तैयारी है। धनबाद इकाई को भी इस संबंध में कई दिशा-निर्देश मिले हैं।

जानकारों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती नए साल की शुरुआत से ही शुरू हो जाएगी। अनुमान है कि मार्च–अप्रैल 2026 में वहां चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा पहले से ही चुनावी मोर्चा मजबूत करने में जुटी है। बिहार चुनाव की तर्ज पर बंगाल में भी झारखंड के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सीमावर्ती इलाकों में लगाया जाएगा, क्योंकि झारखंड और बंगाल के कई जिले आपस में घनिष्ठ सामाजिक, सांस्कृतिक और कारोबारी संबंध साझा करते हैं।

धनबाद और बोकारो की सीमाएं बंगाल के पश्चिम बर्धमान और पुरुलिया से मिलती हैं। इसी तरह संताल परगना की सीमा मालदा और वीरभूम जैसे बड़े जिलों से लगी है। इन इलाकों की कई विधानसभा सीटों पर झारखंड का जातीय, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव देखा जाता है। इन्हीं कारणों से भाजपा पड़ोसी सीटों पर झारखंड के संगठन को सक्रिय करने की योजना पर काम कर रही है। हाल ही में पुरुलिया के कई भाजपा जनप्रतिनिधि इस सिलसिले में धनबाद पहुंचे थे।

धनबाद भाजपा महानगर से मिली जानकारी के अनुसार, बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग स्तर पर समितियाँ गठित की जाएंगी और कार्यकर्ताओं को विशेष जिम्मेदारियाँ दी जाएंगी। धनबाद का बंगाल से गहरा संबंध है—दैनिक आवाजाही, व्यापारिक संपर्क और यहां की कोयला कंपनियों में बंगाली कर्मचारियों की बड़ी संख्या के कारण। भाजपा का लक्ष्य है कि इन आपसी संबंधों को राजनीतिक रूप से भी जमीन पर उतारा जाए।

भाजपा संथाल मतदाताओं तक पहुंच भी मजबूत करना चाहती है, विशेषकर वीरभूम जैसे जिलों में, जहाँ संथालों की बड़ी आबादी है। इसके लिए झारखंड के संथाली नेताओं को बंगाल में उतारने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि, यह भी चुनौती है कि संथाल समाज पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की पकड़ मजबूत है। यदि टीएमसी को झामुमो का समर्थन मिलता है, तो भाजपा के लिए मुकाबला और कठिन हो सकता है। खास बात यह है कि झामुमो भी पश्चिम बंगाल की कुछ संथाल बहुल सीटों पर चुनाव लड़ता रहा है।

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