एनआईटी जमशेदपुर के शोधार्थी ने विकसित की उन्नत WE-43 मिश्रधातु, अब बिना स्टील प्लेट के जुड़ सकेगी हड्डी

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के पीएचडी शोधार्थी अब्दुल रहमान ने बायोमैटेरियल विज्ञान में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उनका शोध ऐसे किफायती, सुरक्षित और शरीर-अनुकूल इम्प्लांट सामग्री विकसित करने पर केंद्रित था, जो उपचार पूर्ण होने के बाद स्वयं शरीर में घुल जाए।
यह अध्ययन विशेष रूप से मैग्नीशियम आधारित WE-43 मिश्रधातु की जैव-प्रयुक्ति बढ़ाने से संबंधित है, जिसे उन्होंने वैज्ञानिक रूप से संशोधित कर एक अत्यंत सक्षम नैनोकंपोजिट में परिवर्तित किया।
स्टील प्लेट की आवश्यकता कम करने की दिशा में कदम
अब्दुल रहमान के अनुसार, हड्डी टूटने पर लगाए जाने वाले स्टील प्लेट अक्सर 5–10 वर्ष बाद दोबारा सर्जरी कर निकाले जाते हैं। उनकी विकसित सामग्री हड्डी जुड़ने के बाद शरीर में ही घुल जाएगी।
उन्होंने दावा किया कि जहां सामान्य परिस्थितियों में हड्डी को जुड़ने में 45 दिन लगते हैं, वहीं नई धातु से यह समय 30 दिन तक कम हो सकता है।
मिश्रधातु में वैज्ञानिक संशोधन
WE-43 मिश्रधातु को उन्होंने कैल्शियम और जिंक से संशोधित किया तथा उसमें हड्डी जैसे गुणों वाले सूक्ष्म बायोसिरेमिक कण मिलाए। इससे प्राप्त नैनोकंपोजिट में—
मजबूत यांत्रिक क्षमता
बेहतर क्षरण-नियंत्रण
तेज़ हड्डी-बॉन्डिंग क्षमता
जैसे गुणों में बड़ा सुधार देखा गया।
हड्डी की ताकत भी बढ़ाती है नई सामग्री
मैग्नीशियम और कैल्शियम फॉस्फेट आधारित यह सामग्री चार प्रकार के नैनो-रीइन्फोर्समेंट के साथ तैयार की गई है, जो हड्डी को जोड़ने के साथ-साथ उसकी ताकत भी बढ़ाती है।
यह धीरे-धीरे शरीर में घुल जाती है, जिससे स्टील प्लेट की तरह दोबारा ऑपरेशन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त शोध
यह शोध डॉ. नरेश प्रसाद (एनआईटी जमशेदपुर) और डॉ. मुरतूजा हुसैन (सीएसआईआर-एनएमएल) के मार्गदर्शन में पूरा हुआ।
यह कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुआ है—
Journal of Alloys and Compounds
Ceramics International
Transactions of the Indian Institute of Metals
भारत की स्वास्थ्य-तकनीक आत्मनिर्भरता की दिशा में योगदान
एनआईटी निदेशक डॉ. गौतम सूत्रधर ने कहा कि यह तकनीक भारत में बायोमैटेरियल उद्योग, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर खोलेगी और स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को गति देगी।
अन्य चित्र



