झारखंड में कामकाजी महिलाओं के लिए 500-बेड हॉस्टल योजना: रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो और जमशेदपुर में शुरुआत

झारखंड में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी हॉस्टल योजना तैयार की गई है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 163 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है, और इसके अंतर्गत 500-बेड क्षमता वाले हॉस्टल राज्य के प्रमुख शहरों में बनाए जाएंगे।
यह योजना झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (JIADA) के सहयोग से लागू की जाएगी। हॉस्टल निर्माण के पहले चरण में रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो और जमशेदपुर को शामिल किया गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, छह शहरों में 500-500 बेड वाले हॉस्टल बनाए जाएंगे और कुल अनुमानित खर्च लगभग 141 करोड़ रुपये है। प्रत्येक हॉस्टल की अनुमानित लागत लगभग 23.5
यह हॉस्टल योजना कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और किफायती आवास मुहैया कराने के उद्देश्य से है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो शहरों में नौकरी के लिए आती हैं।
केंद्र महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस पहल का समर्थन कर रही है, और इसके जरिए महिला-स्वरोज़गार समूह (SHG) की बाजार तक पहुंच को भी मजबूत किया जाएगा।
JIADA के सूत्रों ने बताया है कि यह हॉस्टल योजना औद्योगिक क्षेत्र के नजदीक जगहों पर बनेगी, ताकि काम करने वाली महिलाओं को आवागमन में सुविधा हो।
हालांकि यह योजना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन के लिए कुछ चुनौतियाँ सामने हैं:
भूमि अधिग्रहण: हॉस्टल निर्माण के लिए आवश्यक भूमि प्राप्त करना और स्वीकृत कराना मुश्किल हो सकता है।
निर्माण और परिचालन लागत: सिर्फ निर्माण ही नहीं, भविष्य में हॉस्टल का प्रबंधन, देख-भाल, सुरक्षा और मेस जैसी सुविधाओं का संचालन भी जिम्मेदारी होगा।
पात्रता निर्धारण: यह तय करना होगा कि हॉस्टल का लाभ किन कामकाजी महिलाओं को मिलेगा-जैसे औद्योगिक क्षेत्र की महिला कर्मचारी, SHG सदस्य, या अन्य श्रेणियाँ।
समयबद्धता: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रक्रिया, स्वीकृति और दस्तावेज़ीकरण में देरी हो सकती है।
यह हॉस्टल कामकाजी महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
सुरक्षित आवास होने से महिलाएं नौकरी के लिए शहरों में अधिक स्थिरता से रह सकती हैं, जिससे उनकी पेशेवर भागीदारी बढ़ेगी।
उद्योग-क्षेत्रों में फैले हॉस्टल महिलाओं को रोजगार-नज़दीकी आवास उपलब्ध कराकर उनकी उत्पादनशीलता और काम की संतुष्टि में सुधार कर सकते हैं।
यह पहल लंबी अवधि में राज्य की महिला-शक्ति के विकास में सहायक हो सकती है।
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