झारखंड के 11 हजार से अधिक वकीलों के लाइसेंस रद्दीकरण के खतरे में; सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही भारी पड़ सकती है

झारखंड बार काउंसिल में निबंधित 35 हजार वकीलों में से लगभग 11 हजार वकीलों के लाइसेंस निलंबित—और आगे चलकर रद्द—किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।
इन वकीलों ने प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए फॉर्म नहीं लिया, या फॉर्म लेने के बाद सत्यापन के लिए जमा नहीं किया, जबकि बार काउंसिल ने कई बार अवसर दिया।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सत्यापन प्रक्रिया शुरू नहीं करने वाले वकील आगामी चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे। ऐसे वकीलों के लाइसेंस पहले निलंबित होंगे और बाद में रद्द किए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: सत्यापन लंबित है तो मतदान ‘औपबंधिक’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्देश में कहा है कि जिन वकीलों का सत्यापन लंबित है, उन्हें औपबंधिक मतदान अधिकार दिया जाएगा।
यदि बाद में सत्यापन में उनकी डिग्री संदिग्ध या अमान्य पाई जाती है, तो मतदान निरस्त कर दिया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सत्यापन के नाम पर चुनावों को लंबित नहीं रखा जा सकता। इसी के तहत जनवरी से अप्रैल 2026 के बीच सभी राज्यों में चुनाव सम्पन्न कराने का दिशानिर्देश जारी किया गया है।
तदर्थ समिति कर रही है काउंसिल का संचालन
झारखंड बार काउंसिल का कार्यकाल 28 जुलाई 2023 को समाप्त हो चुका है। सत्यापन कार्य के अधूरे रहने के कारण, काउंसिल वर्तमान में तदर्थ समिति द्वारा संचालित की जा रही है।
लगातार नोटिस और चेतावनियों के बावजूद हजारों वकीलों ने सत्यापन प्रक्रिया शुरू नहीं की।
अक्टूबर बैठक में खुलासा—6,000 वकीलों ने फॉर्म तक नहीं लिया
अक्टूबर में हुई काउंसिल बैठक में बताया गया कि अंतिम अवसर देने के बाद लगभग 5,000 वकीलों ने फॉर्म लिया और सत्यापन शुरू किया, जबकि 6,000 वकीलों ने फॉर्म तक लेने की जहमत नहीं उठाई।
सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा निर्देशों के बाद अब ऐसे वकीलों के विरुद्ध कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह स्पष्ट हो गया है।
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