जस्टिस सूर्यकांत बने 53वें CJI, राष्ट्रपति भवन में ली शपथ

सुप्रीम कोर्ट में नेतृत्व परिवर्तन का महत्वपूर्ण क्षण
जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, जिसके साथ ही न्यायपालिका के शीर्ष पद का औपचारिक हस्तांतरण पूर्ण हुआ।
वे जस्टिस बी. आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं, जो 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर आज सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 14 माह का होगा।
संवैधानिक परंपरा के अनुरूप नियुक्ति
सेवानिवृत्त हो रहे CJI बी. आर. गवई ने संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति ने इस सिफारिश को मंजूरी दी और आज उनका शपथग्रहण संपन्न हुआ। यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठता-आधारित नियुक्ति परंपरा को आगे बढ़ाती है।
भारी न्यायिक दायित्वों के बीच प्रारंभ हुआ कार्यकाल
जस्टिस सूर्यकांत ऐसे समय में मुख्य न्यायाधीश बने हैं जब न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच कई संवेदनशील मामलों पर व्यापक चर्चा जारी है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या भी अत्यधिक है, जिससे उनका कार्यकाल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
उनकी प्राथमिकताएँ मानी जा रही हैं:
लंबित मामलों की संख्या कम करना
न्यायिक सुधारों को गति देना, विशेषकर डिजिटलीकरण और दक्षता सुधार
पारदर्शिता को मजबूत करना
संवैधानिक महत्व के लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा
देश की शीर्ष न्यायालय में बढ़ते मामलों और जटिल संवैधानिक बहसों के बीच उनका नेतृत्व निर्णायक
भूमिका निभाएगा।
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