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झारखंड में DMFT फंड का दुरुपयोग किसने किया? बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर लगाया राज्यव्यापी भ्रष्टाचार का आरोप

Sanjana Kumari
25 अक्टूबर 2025 को 04:29 am बजे
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Who Misused Jharkhand’s DMFT Funds? BJP Chief Accuses Hemant Soren Government of Statewide Corruption

झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर राज्यभर में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड घोटाले का आरोप लगाया है।

मरांडी ने कहा कि बोकारो केवल एक उदाहरण है, जबकि असली भ्रष्टाचार पूरा झारखंड व्यापी है, और अब कोडरमा एवं धनबाद जैसे जिलों से भी नए तथ्य सामने आ रहे हैं।

संगठित भ्रष्टाचार के आरोप

मरांडी के अनुसार, कोडरमा के तत्कालीन उपायुक्त आदित्य रंजन ने अपने कार्यकाल के दौरान स्किल डेवलपमेंट योजनाओं के नाम पर DMFT फंड का दुरुपयोग किया। यह कार्य कथित तौर पर एमईपीएससी और तितली फाउंडेशन नामक निजी संस्थाओं के साथ सांठगांठ में किया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि अब, जब आदित्य रंजन धनबाद के उपायुक्त हैं, वही भ्रष्टाचार दोबारा दोहराया जा रहा है। मरांडी ने दावा किया कि टेंडर की शर्तों में बदलाव कर कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ पहुँचाया गया, जो एक संगठित भ्रष्टाचार तंत्र की ओर संकेत करता है।

उच्चस्तरीय जांच की मांग

मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया कि वर्ष 2022 से 2024 के बीच कोडरमा में DMFT फंड के उपयोग की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

साथ ही, उन्होंने आदित्य रंजन और प्रांजल मोदी के बीच संबंधों की भी जांच की मांग की, यह कहते हुए कि यह संबंध प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि धनबाद में DMFT फंड से जुड़ी सभी टेंडर प्रक्रियाओं को तत्काल रोका जाए, ताकि निष्पक्ष जांच और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

वृहद प्रभाव

डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि खनन से प्रभावित क्षेत्रों को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिल सके। ऐसे में यदि यह फंड भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है, तो यह फंड की मूल भावना और जनहित दोनों के साथ विश्वासघात होगा।

यदि ये आरोप सत्य साबित होते हैं, तो यह मामला हेमंत सरकार के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर गंभीर संकट खड़ा कर सकता है।

भाजपा के आरोप झारखंड में सार्वजनिक धन के उपयोग की पारदर्शिता को लेकर नए प्रश्न खड़े करते हैं। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और संभावित जांच इस विवाद को भ्रष्टाचार की परत खोलती है या राजनीतिक आरोप साबित होती है।

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