अन्यLATEHAR

कभी चंदवा की ‘वॉटर लाइफलाइन’ रहा जागरह डैम अब अस्तित्व की लड़ाई में, गंदगी और अतिक्रमण ने छीनी पहचान

Sanjana Kumari
25 अक्टूबर 2025 को 02:48 pm बजे
37 बार देखा गया
Once Chandwa’s “Water Lifeline”, Jagarah Dam Now Fights for Survival Amid Pollution and Encroachment

कभी चंदवा की “वॉटर लाइफलाइन” कहा जाने वाला जागरह डैम आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। एक समय यह डैम चंदवा और आसपास के गांवों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत और सुकून का स्थल था, लेकिन अब इसका पानी मटमैला और बदबूदार हो गया है। आसपास की कॉलोनियों का गंदा पानी और कोयले की धूल ने इसे प्रदूषित कर दिया है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह डैम कई दशकों तक भूमिगत जल संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता रहा। लेकिन अब यह धीरे-धीरे सूखता और सिमटता जा रहा है।

अतिक्रमण और गंदगी से घटती चौड़ाई

धूल माफिया और अतिक्रमणकारियों ने डैम के किनारों पर कब्जा जमा लिया है। मिट्टी की अवैध निकासी और नालियों का गंदा पानी प्राकृतिक जलधारा को रोक रहा है। बरसात में पानी भरता है, लेकिन सर्दियों में यह पूरी तरह सूख जाता है — यह स्थिति न सिर्फ पर्यावरणीय संकट बल्कि प्रशासनिक विफलता का भी संकेत है।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

चांद खान, स्थानीय निवासी कहते हैं—

“हमने बचपन में इस डैम में नहाकर कई दोपहरें बिताई हैं। यह हमारे जीवन का हिस्सा था। अब इसका हाल देखकर दिल टूट जाता है। प्रशासन चाहे तो इसे फिर से पहले जैसा बना सकता है।”

अहमद अली, समाजसेवी, कहते हैं—

“जागरह डैम अब कचरे का ढेर बन चुका है। आसपास की कॉलोनियों का गंदा पानी यहीं गिरता है। प्रशासन को नालों का रुख बदलकर नियमित सफाई अभियान चलाना चाहिए।”

जॉनी अग्रवाल, पर्यावरण प्रेमी, का कहना है—

“अवैध कब्जा और मिट्टी उठाव से डैम की चौड़ाई घट गई है। अगर यही हाल रहा तो कुछ वर्षों में डैम पूरी तरह खत्म हो जाएगा।”

लापरवाही बनी संकट की जड़

स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से न तो सफाई हुई और न ही कोई पुनरुद्धार कार्य। नगर पंचायत कभी-कभार झाड़ियां साफ करती है, लेकिन जल गुणवत्ता जस की तस बनी रहती है। बाजारों और कॉलोनियों की नालियां सीधे डैम में गिरती हैं, जिससे यह मच्छरों और बदबू का केंद्र बन गया है।

इसके अलावा, कोयले के ट्रकों की आवाजाही से उड़ने वाली धूल भी पानी को और गंदा बना रही है।

पुनर्जीवन की उम्मीद

पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अगर प्रशासन ठोस कदम उठाए, तो जागरह डैम फिर से जीवन पा सकता है। इसके लिए ज़रूरी है—

  • डैम की नियमित सफाई और गाद निकासी,

  • नालियों का मार्ग परिवर्तन,

  • अतिक्रमण हटाना,

  • और चारों ओर हरियाली अभियान चलाना।

लातेहार के नागरिक अब प्रशासन, जल संसाधन विभाग और नगर पंचायत से आग्रह कर रहे हैं कि वे मिलकर जागरह डैम के पुनर्जीवन की ठोस योजना बनाएं —
ताकि आने वाली पीढ़ियाँ कह सकें,
“जागरह डैम अब भी जिंदा है।”

यह भी पढ़े - लातेहार में जेसीबी और ट्रैक्टर को लगाई आग, नक्सली कार्रवाई या आपराधिक साजिश — जांच में जुटी पुलिस

अन्य चित्र

Jagarah Dam

Jagarah Dam