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जमिन घोटाले में BJP विधायक का नाम जुड़ा, ACB की जांच में नया मोड़

Kusum Kumari
29 अक्टूबर 2025 को 05:23 am बजे
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BJP MLA Named in Land Scam Case, ACB Probe Takes a New Turn

रांची/हजारीबाग।

झारखंड के चर्चित हजारीबाग वन भूमि घोटाले में अब एक बड़ा नाम सामने आया है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हजारीबाग विधायक प्रदीप प्रसाद को भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने आरोपी के रूप में शामिल किया है। यह पूरा मामला उस समय का है, जब निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे हजारीबाग के उपायुक्त थे।

सूत्रों के अनुसार, ACB ने हजारीबाग की विशेष अदालत में दाखिल दस्तावेजों में विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम एक गवाह के रूप में दर्ज पाया है, जो उस रजिस्ट्री से जुड़ा है जिसके माध्यम से विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह ने कथित तौर पर वन भूमि की अवैध खरीद की थी।

क्या है पूरा मामला

मामला वर्ष 2010 का बताया जा रहा है। आरोप है कि व्यवसायी विनय सिंह और स्निग्धा सिंह ने 10 फरवरी 2010 को हजारीबाग में एक ऐसी जमीन खरीदी थी जो सरकारी रिकॉर्ड में वन भूमि (Forest Land) के रूप में दर्ज थी। इस जमीन पर बाद में नेक्सजेन शोरूम का निर्माण भी कराया गया।

ACB की जांच में सामने आया है कि इस जमीन की रजिस्ट्री संख्या 1763/1710 है, जो हजारीबाग रजिस्ट्री कार्यालय में दर्ज हुई थी। इसी रजिस्ट्री के गवाह के रूप में विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम पाया गया।

ACB ने इस मामले में केस नंबर 11/2025 दर्ज किया है, जिसमें 70 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसी अब तक विनय चौबे के करीबी व्यवसायी विनय सिंह, जमीन कारोबारी विजय सिंह और उस समय के सदर अंचल अधिकारी शैलेश कुमार को गिरफ्तार कर चुकी है।

विधायक प्रदीप प्रसाद का पक्ष

इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक प्रदीप प्रसाद ने कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से अपने नाम के आने की जानकारी मिली है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।

उन्होंने कहा, “मैंने जो जमीन खरीदी है, वह 1915 से अब तक कई बार बेची जा चुकी है। मैंने इसे बैंक की नीलामी से खरीदा था और जिस भूमि की बात की जा रही है, उस पर आज एक पूरा गांव बसा हुआ है।”

विधायक ने आगे कहा कि यदि पुराने सौदों में नाम आने भर से लोगों को आरोपी बनाया जाएगा, तो “जेलों में जगह कम पड़ जाएगी।”

ACB ने क्या कहा

ACB की एडीजी प्रिया दुबे ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार किया है। एजेंसी इस मामले में दस्तावेजों और गवाहियों की कानूनी जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में और कई लोगों से पूछताछ की जा सकती है।

यह घोटाला झारखंड में वन भूमि के अवैध हस्तांतरण, म्यूटेशन और रजिस्ट्री से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत कर वन भूमि को प्राइवेट नाम पर दर्ज कराया गया और बाद में वहां व्यावसायिक ढांचे खड़े किए गए।

ACB की जांच फिलहाल जारी है और माना जा रहा है कि यह मामला आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे कर सकता है।

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