RIMS रांची में रेफर मरीजों पर सख्त नियम लागू, निजी अस्पतालों को देनी होगी लिखित जानकारी

राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS), रांची ने निजी अस्पतालों द्वारा मनमाने तरीके से मरीजों को रेफर किए जाने पर रोक लगाते हुए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि अब कोई भी निजी अस्पताल बिना लिखित जानकारी के मरीज को RIMS नहीं भेज सकेगा। इसके लिए अस्पतालों को तीन सवालों के स्पष्ट और लिखित उत्तर देने होंगे—
मरीज को अब तक क्या उपचार दिया गया है?
मरीज की वर्तमान चिकित्सा स्थिति क्या है?
RIMS में रेफर करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
यह नीति जवाबदेही (Accountability) बढ़ाने, रेफरल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सामाजिक-नैतिक जिम्मेदारी तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गंभीर या अधूरे इलाज वाले मरीजों की भर्ती नहीं
RIMS प्रशासन के अनुसार, कई निजी अस्पताल लाखों रुपये वसूलने के बाद मरीजों को अत्यंत गंभीर या ब्रेन-डेड अवस्था में सरकारी अस्पताल भेज देते हैं। ऐसे मामलों में मरीज की जान बचाने की संभावना बहुत कम होती है और सरकारी संसाधनों पर अनावश्यक बोझ बढ़ता है।
नए नियमों के तहत, यदि मरीज अधूरे इलाज या गंभीर हालत में भेजा जाता है और उचित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, तो उसकी भर्ती नहीं की जाएगी। डॉ. राजकुमार ने स्पष्ट किया, “हम किसी भी जरूरतमंद मरीज से इलाज नहीं छीन रहे हैं, पर हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि RIMS निजी अस्पतालों की जिम्मेदारियों का बोझ न उठाए।”
प्रशासनिक प्रक्रिया और अगला कदम
यह प्रस्ताव आगामी 12 नवंबर को होने वाली गवर्निंग बॉडी बैठक में रखा जाएगा, जहां इसके औपचारिक अनुमोदन की संभावना है। इसके बाद यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।
प्रशासन का मानना है कि इससे न केवल भीड़ नियंत्रण में मदद मिलेगी, बल्कि चिकित्सा संसाधनों का बेहतर उपयोग और नैतिक चिकित्सा पद्धतियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इस कदम से मरीजों के अधिकारों की रक्षा होगी और गंभीर जरूरतमंद मरीजों को प्राथमिकता के साथ इलाज मिल सकेगा।
पृष्ठभूमि और व्यापक प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में RIMS पर मरीजों का दबाव लगातार बढ़ा है। कई बार निजी अस्पताल अंतिम समय में, बिना पर्याप्त मेडिकल रिकॉर्ड के, मरीजों को यहां रेफर कर देते हैं ताकि जिम्मेदारी से बचा जा सके। यह प्रवृत्ति न केवल मरीज की सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि अस्पताल के संसाधनों और कर्मचारियों पर भी भारी दबाव डालती है।
नए नियमों के तहत लिखित जवाबदेही तय करने से इस अव्यवस्था पर अंकुश लगने की उम्मीद है। प्रशासन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रेफरल की प्रक्रिया चिकित्सा नैतिकता और मानवीय संवेदना पर आधारित हो।
अन्य चित्र



