घाटशिला उपचुनाव में बड़ा संकेत: NOTA ने दस उम्मीदवारों को पछाड़ा, मतदाताओं ने जताया गहरा असंतोष

झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने प्रदेश की चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। कुल 14 उम्मीदवारों के बीच हुए मुकाबले में जहां प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी ताकत आजमा रहे थे, वहीं मतदाताओं के फैसले ने इस बार राजनीतिक दलों के लिए एक स्पष्ट संदेश छोड़ा है।
मतगणना के अनुसार, झामुमो उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन ने 46,150 वोटों के साथ बढ़त बनाई, जबकि भाजपा के बाबूलाल सोरेन ने 30,458 मत हासिल किए। दूसरी ओर, जेएलकेएम के रामदास मुर्मू को 7,172 वोट मिले। भारत आदिवासी पार्टी के पंचानन सोरेन के खाते में 446 वोट आए। पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) की पार्वती हांसदा को 174 वोट प्राप्त हुए, जबकि कई निर्दलीय उम्मीदवारों को 65 से 705 वोटों तक सीमित रहना पड़ा।
लेकिन इस चुनाव की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि NOTA (None of the Above) ने 1,326 वोट प्राप्त कर दस उम्मीदवारों से अधिक समर्थन हासिल किया। इस परिणाम ने चुनावी विश्लेषकों और राजनीतिक दलों को चौंका दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि घाटशिला के मतदाताओं ने NOTA के माध्यम से पारंपरिक विकल्पों से असंतोष साफ तौर पर प्रकट किया है। यह संकेत है कि मतदाता अब ठोस उम्मीदवार, मजबूत नेतृत्व और विश्वसनीय एजेंडा की तलाश में हैं।
NOTA की बढ़त से यह भी साबित होता है कि मतदाताओं का ‘चुनाव बहिष्कार नहीं, बल्कि विकल्पों से असंतोष’ का संदेश पहले से ज्यादा मुखर हो चुका है। राजनीतिक दलों पर अब यह दबाव बढ़ेगा कि वे अपनी रणनीतियों को मतदाता उम्मीदों के अनुसार ढालें।
घाटशिला उपचुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाता की प्रतिक्रिया ही असली निर्णायक होती है,और NOTA ने इस बार उस आवाज़ को और बुलंद कर दिया है।
अन्य चित्र



