घाटशिला में झामुमो की प्रचंड जीत: भाजपा अपना परंपरागत वोट भी नहीं बचा सकी, सोमेश सोरेन की बड़ी बढ़त के मुख्य कारण

घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अभूतपूर्व जीत दर्ज की।
इतिहास में पहली बार भाजपा शहरी बूथों में भी बढ़त हासिल करने में असफल रही, जो उसका पारंपरिक आधार माना जाता है।
गालूडीह क्षेत्र (बूथ 1–30) में भाजपा 5–6 हजार वोटों से पिछड़ गई, लेकिन उम्मीद थी कि शहर में सूरत बदलेगी। उलट, झामुमो ने शहरी क्षेत्र (बूथ 31–86) में 7 हजार से अधिक की बढ़त बना ली, जिसके बाद भाजपा प्रतिनिधियों ने मतगणना स्थल से धीरे-धीरे खुद को अलग कर लिया।
ग्रामीण बूथों तक आते-आते सोमेश की कुल बढ़त 15 हजार से ऊपर पहुंच गई—इतनी बढ़त झामुमो ने पहले कभी घाटशिला में नहीं ली थी।
सोमेश सोरेन की जीत के प्रमुख कारण
1. भावनात्मक लहर और रामदास सोरेन की विरासत
दिवंगत विधायक की स्मृति और उनके विकास कार्यों ने जनता के बीच सकारात्मक प्रभाव छोड़ा।
2. सोमेश की व्यक्तिगत छवि
उनकी सादगी, पहुंच और व्यवहारिकता ने उन्हें भाजपा उम्मीदवार पर बढ़त दिलाई।
3. आदिवासी मतों का एकमुश्त ध्रुवीकरण
आदिवासी मतदाताओं ने भारी संख्या में भाजपा के खिलाफ वोट किया।
4. भाषाई अल्पसंख्यकों का समर्थन
ओड़िया और बंगाली समुदाय के बड़े हिस्से ने भाजपा की बजाय झामुमो को चुना।
5. कुड़मी समाज का रणनीतिक निर्णय
कुड़मी मतदाताओं ने जेएलकेएम को “वोट बर्बादी” मानते हुए सोमेश को समर्थन दिया।
6. भाजपा की भावनात्मक अपील का असर न होना
चंपई सोरेन के भावनात्मक प्रचार के बावजूद भाजपा जनता को प्रभावित नहीं कर सकी।
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