झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट को संवैधानिक रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति का भरोसा दिया, विस्तृत जवाब के लिए समय मांगा

झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में लंबे समय से खाली पड़े महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों—जैसे राज्य सूचना आयुक्त, लोकायुक्त और राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष—को भरने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ ने की।
सरकार ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की।
सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के पश्चात कई प्रक्रियाएं—जो पहले औपचारिक कारणों से अटकी थीं—अब शुरू कर दी गई हैं। सरकार ने आश्वस्त किया कि “सभी लंबित संवैधानिक नियुक्तियाँ शीघ्र पूरी की जाएंगी।”
याचिकाकर्ता ने देरी पर जताई आपत्ति
याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अभय मिश्रा ने अदालत को बताया कि सरकार बार-बार आश्वासन देती रही है, लेकिन वास्तविक प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त, सूचना आयुक्त और महिला आयोग सहित कई प्रमुख पद अब भी रिक्त हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही प्रभावित हो रही है।
झारखंड हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन और राजकुमार द्वारा दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि इन संस्थाओं की अनुपस्थिति से शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली कमजोर हुई है।
शासन-प्रणाली पर व्यापक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकायुक्त जैसे पदों के रिक्त रहने से भ्रष्टाचार विरोधी ढांचा कमजोर होता है, जबकि महिला आयोग के अध्यक्ष के अभाव में कई मामले लंबित हैं, जिन पर समयबद्ध कार्रवाई अपेक्षित थी।
अगली सुनवाई में अदालत सरकार की विस्तृत रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगी।
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