स्विट्ज़रलैंड में मंत्री दीपिका पांडेय ने बढ़ाया भारत का मान, लैंगिक हिंसा रोकने पर दिया सशक्त संदेश

रांची — स्विट्ज़रलैंड में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने “टेक्नोलॉजी के माध्यम से होने वाली लैंगिक हिंसा” पर एक प्रभावशाली संबोधन दिया।
उन्होंने कहा कि संसदों और नीतिगत ढाँचों की भूमिका इस चुनौती को रोकने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
“डिजिटल दुनिया, जो कभी सशक्तिकरण का माध्यम थी, अब कई बार भय और उत्पीड़न का कारण बन रही है। यह केवल व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का प्रश्न है,” उन्होंने कहा।
मंत्री ने भारत की स्थिति पर चिंता जताते हुए बताया:
85% महिलाओं ने ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया,
54% ने तकनीकी हिंसा का अनुभव किया,
65% के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ा।
लेकिन केवल 30% महिलाएँ ही शिकायत दर्ज करा पाती हैं — जो सामाजिक कलंक और भरोसे की कमी को दर्शाता है।
उन्होंने तीन स्तंभों पर आधारित रणनीति प्रस्तुत की:
शिक्षा: डिजिटल साक्षरता, ऑनलाइन सुरक्षा और मीडिया जागरूकता को स्थानीय स्तर तक पहुँचाना।
जवाबदेही: कानूनों को सशक्त बनाना, प्लेटफ़ॉर्म की जिम्मेदारी तय करना, और पुलिस व साइबर सेल को लैंगिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित करना।
सशक्तिकरण: महिलाओं की नीति निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करना, पुरुषों को साझेदार बनाना और CTRL+SHIFT+RESPECT जैसे अभियानों को बढ़ावा देना।
उन्होंने कहा कि भारत UNFPA, IPU और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर ऑनलाइन हिंसा के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने “16 Days of Activism” जैसे अभियानों को डिजिटल अधिकारों और महिलाओं की सुरक्षा का प्रतीक बताया।
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने अपने संबोधन का समापन इस संदेश के साथ किया —
“महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज और लोकतंत्र की सुरक्षा का प्रश्न है। जब महिलाएँ सुरक्षित होंगी, तभी वे निर्भीक होकर नेतृत्व करेंगी और समानता आधारित समाज का निर्माण करेंगी।”
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Dipika Pandey


