घाटशिला उपचुनाव में JLKM की एंट्री से समीकरण बदले, JMM-BJP के लिए चुनौती गहरी

झारखंड के घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में अब तक मुकाबला केवल झामुमो और भाजपा के बीच देखा जा रहा था।
हालाँकि, डुमरी विधायक जयराम महतो के नेतृत्व वाली झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) की एंट्री ने चुनावी समीकऱण को नई दिशा दे दी है।
झामुमो ने दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने संगठनात्मक मजबूती और केंद्र सरकार की योजनाओं के सहारे बाबूलाल सोरेन को प्रत्याशी बनाया है।
इस बीच JLKM द्वारा आदिवासी उम्मीदवार उतारने से परंपरागत वोट-बैंक में सेंध लगाने की संभावना बढ़ी है।
मुख्य मुद्दे और सामाजिक समीकरण
घाटशिला का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण है, जहाँ आजीविका का आधार खनन, वन-उत्पाद और छोटे व्यवसाय हैं।
मुख्य चुनौतियाँ हैं:
बेरोजगारी और पलायन
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
शिक्षा-व्यवस्था में कमी
जनजातीय आजीविका और अधिकार
क्षेत्र में लगभग 48% आदिवासी, 40% ओबीसी और 5.3% एससी मतदाता हैं — इसलिए परिणाम आदिवासी समुदाय के रुख पर अत्यधिक निर्भर रहेगा।
JLKM का प्रभाव: गेम-चेंजर या वोट-कटवा?
पिछले चुनाव में JLKM उम्मीदवार को 8,000 से अधिक वोट मिले थे।
इस बार युवाओं और एक वर्ग विशेष में जयराम महतो की बढ़ती स्वीकार्यता चर्चा का विषय है।
अब यह देखने की रुचि है कि वे:
झामुमो के मजबूत वोट-आधार में सेंध लगाएँगे, या
त्रिकोणीय स्थिति बनाकर भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ देंगे।
प्रशासनिक तैयारियाँ
चुनाव को शांतिपूर्ण कराने के लिए सघन निगरानी की जा रही है।
अब तक ₹2.91 करोड़ नकदी जब्त की जा चुकी है और प्रशासन ने शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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