राजनीतिरांची

धुर्वा डैम विस्थापितों का विरोध तेज: पुनर्वास से पहले बेदखली पर नाराज़गी, वादाखिलाफी और अधिकारों का सवाल

Sanjana Kumari
31 अक्टूबर 2025 को 01:34 pm बजे
112 बार देखा गया
Ranchi’s Dhurwa Dam Displaced Families Resist Fresh Eviction, Cite Broken Promises and Constitutional Rights

धुर्वा डैम निर्माण के समय विस्थापित हुए परिवारों की पीड़ा एक बार फिर सामने आई है। सीठियो पंचायत के लोग आरोप लगा रहे हैं कि बिना पुनर्वास के उन्हें दूसरी बार उजाड़ने की तैयारी की जा रही है। नामकुम अंचल कार्यालय द्वारा हाल ही में 35 से अधिक घरों को हटाने का नोटिस जारी किया गया, जिससे बस्ती में भय और नाराजगी व्याप्त है।

ग्रामीणों ने कहा कि वर्ष 1959-61 के बीच उनकी पुश्तैनी भूमि डैम निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी। विस्थापन प्रमाणपत्र भी जारी हुए, किंतु आज तक उन्हें न तो वैकल्पिक भूमि मिली और न ही आवास।

“हमने जमीन दे दी, अब बिना पुनर्वास घर छिन रहा है। यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है।” - विस्थापित परिवार

प्रशासन पर चयनात्मक कार्रवाई का आरोप

स्थानीयों का कहना है कि डैम क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतें और कॉलोनियां मौजूद हैं, पर कार्रवाई केवल गरीब परिवारों पर की जा रही है।

“गरीब हैं इसलिए निशाना बनाया जा रहा है?” - स्थानीय निवासी

अधिकांश परिवार दिहाड़ी-मजदूरी पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि यदि घर ढहा दिए गए, तो वे सड़क पर आ जाएंगे।

कानूनी पक्ष

विस्थापितों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि पुनर्वास के बिना बेदखली संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है - जो गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।

मुख्य मुद्दे

  • 60 साल बाद भी पुनर्वास या वैकल्पिक भूमि नहीं

  • नोटिस से भय का माहौल

  • बस्ती डैम से लगभग 500 मीटर दूर - दावा

  • पानी, सड़क, बिजली, सरकारी योजनाओं की कमी

  • आजीविका पर संकट

यह भी पढ़े - रांची में 26 क्विंटल प्रतिबंधित मांस बरामद, चार तस्कर गिरफ्तार — तीन आरोपी यूपी से

अन्य चित्र

Article image